चले हम उस हकीकत में, जो कभी यादें बन, रह जाएगी। चले हम उस हकीकत में, जो कभी यादें बन, रह जाएगी।
यह कविता जीवन में यादों की जगह बताते है । यह कविता जीवन में यादों की जगह बताते है ।
राह देखते देखते आज भी भूतकाल बन जाता है। राह देखते देखते आज भी भूतकाल बन जाता है।
बढ़ते रहो आगे ही आगे ख्वाबों के सच होने तक। बढ़ते रहो आगे ही आगे ख्वाबों के सच होने तक।
'देख कर खिड़की के बाहर कुछ बच्चो पर नज़र मेरी पड़ी, छोटी सी मुस्कान मेरे भी चेहरे पर आन पड़ी।' जीवन का स... 'देख कर खिड़की के बाहर कुछ बच्चो पर नज़र मेरी पड़ी, छोटी सी मुस्कान मेरे भी चेहरे प...
लिखने की प्रेरणा किन से मिलती है या मिल सकती है...? आप कल्पना कर सकते है...? नहीं तो यहां पढिए, कैसे... लिखने की प्रेरणा किन से मिलती है या मिल सकती है...? आप कल्पना कर सकते है...? नही...