मैं अपने ही प्रश्नों से खुद हीं अनुत्तरित हो जाता हूं मैं अपने ही प्रश्नों से खुद हीं अनुत्तरित हो जाता हूं
तुमने पूछा था भगवान अच्छे हैं, तो आदमी बुरे क्यों बनाते हैं ? तुमने पूछा था भगवान अच्छे हैं, तो आदमी बुरे क्यों बनाते हैं ?
आप तो मरकर भी जीने का सम्मान लीजिए। दकियानूसी विचारों से बाहर निकलिए आप तो मरकर भी जीने का सम्मान लीजिए। दकियानूसी विचारों से बाहर निकलिए
कई प्रश्नों के जालों में फँसी कौन हूँ मैं? कभी ढूँढा है ख़ुद को? कई प्रश्नों के जालों में फँसी कौन हूँ मैं? कभी ढूँढा है ख़ुद को?
यूं ही बढ़ते-बढ़ते, सफर एक रोज, हो जायेगा पूरा है ऐतबार। यूं ही बढ़ते-बढ़ते, सफर एक रोज, हो जायेगा पूरा है ऐतबार।