अपने दिए हुए अल्फाज़ अलग है कुछ तो गड़बड़ है। अपने दिए हुए अल्फाज़ अलग है कुछ तो गड़बड़ है।
तुम्हारे चाहे या न चाहे अहसासों को कब पहचाना है- तुम्हारे चाहे या न चाहे अहसासों को कब पहचाना है-
सल्तनतों के मसलो से पैदा होते थे फसाद कभी अब तो सल्तनत ही पूरी लपेट में है इसकी सल्तनतों के मसलो से पैदा होते थे फसाद कभी अब तो सल्तनत ही पूरी लपेट में है इस...