हम एक पेड़ भी रोपेंगे नहीं भले सौ पेड़ काटें इस अपनी आदत को रोकेंगे नहीं हम एक पेड़ भी रोपेंगे नहीं भले सौ पेड़ काटें इस अपनी आदत को रोकेंगे नहीं
पवन ऐसी बहे मेरे द्वार,लेकर आये खुशियाँ आपार। पवन ऐसी बहे मेरे द्वार,लेकर आये खुशियाँ आपार।
आँख मेरी अटक जा रही है देह की गंध मुझको कर रही बावला। आँख मेरी अटक जा रही है देह की गंध मुझको कर रही बावला।