ये कविता गुरु द्वारा शिष्य को प्रदान की गयी शिक्षा पर आधारित है... ये कविता गुरु द्वारा शिष्य को प्रदान की गयी शिक्षा पर आधारित है...
गुरु हैं माली शिष्य हैं फूल गुरु हैं माली शिष्य हैं फूल
गुरु बिन कैसा ज्ञान, शिष्य फिर मिल के बोले।। गुरु बिन कैसा ज्ञान, शिष्य फिर मिल के बोले।।
गुरु ही हमारे कल का इतिहास है गुरु ही हमारे कल का इतिहास है
तुम सा अध्यापक पा कर मैंने, ये मानव जन्म सफल पाया। तुम सा अध्यापक पा कर मैंने, ये मानव जन्म सफल पाया।
शिष्य की हरएक चाल को पहचान लेते हैं , शिष्य की अज्ञानता को खंगालकर नया आयाम देते हैं.. शिष्य की हरएक चाल को पहचान लेते हैं , शिष्य की अज्ञानता को खंगालकर नया आयाम द...