कितने कंघे झेले इन मूंछों के बाल ने, कितनो के आँसू पोछे कंधे के रुमाल ने! कितने कंघे झेले इन मूंछों के बाल ने, कितनो के आँसू पोछे कंधे के रुमाल ने!
वक़्त पर कोई भी पहचानता नहीं मानव धर्म कोई भी मानता नही! वक़्त पर कोई भी पहचानता नहीं मानव धर्म कोई भी मानता नही!
न्यायपालिका, कार्य पालिका लेती नेताओं के समक्ष शरण न्यायपालिका, कार्य पालिका लेती नेताओं के समक्ष शरण