सच अभी इतनी भी देर नहीं हुई। सच अभी इतनी भी देर नहीं हुई।
महामारी गई नहीं, रहना हमें सचेत। महामारी गई नहीं, रहना हमें सचेत।
पिंजरे में जैसे बंद पक्षी असमर्थ अंगों को हिलाने डुलाने में पिंजरे में जैसे बंद पक्षी असमर्थ अंगों को हिलाने डुलाने में
पर दिल ने दलील पेश की - ‘तूने कोई ग़लती नहीं की, ये मुर्दा-परस्त लोग बस यूँ ही किया करते हैं!’ और ... पर दिल ने दलील पेश की - ‘तूने कोई ग़लती नहीं की, ये मुर्दा-परस्त लोग बस यूँ ही ...