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Pankaj Prabhat

Others children stories inspirational

4.9  

Pankaj Prabhat

Others children stories inspirational

ये उन दिनों की बात है

ये उन दिनों की बात है

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ये उन दिनों की बात है, जब हम सब सिर्फ बच्चे थे,

न स्वार्थ था न द्वेष था, हम सब बिल्कुल सच्चे थे,

न तर्क था न वितर्क था, करना सिर्फ होमवर्क था,

किताबें थी खिलौने थे, आँखों में सपनों के गुच्छे थे,

ये उन दिनों की बात है, जब हम सब सिर्फ बच्चे थे।


बुआ थी मौसी थी, इतवार की मौज और मस्ती थी,

लूडो और अंताक्षरी साथी थे, ज़िद दो चॉक्लेट सी सस्ती थी,

कागज़ के थे हवाई जहाज़, और कागज़ की ही कश्ती थी,

न राम थे न कृष्ण थे, बस माँ पापा को ही भजते थे,

ये उन दिनों की बात है, जब हम सब सिर्फ बच्चे थे।


छठ थी दिवाली थी, होली थी और दशहरा था,

सब कुछ हमारा था, न तेरा मेरा का फेरा था।

दूध रोटी था राजभोग, माढ़ भात सूप का कटोरा था,

बाबा दादी के पास थे, आधी कहानी सुन पूरा सोते थे।

ये उन दिनों की बात है, जब हम सब सिर्फ बच्चे थे।


न वर्क लोड न टारगेट था, न टाइम लिमिट न ओवर टाइम,

हर पल हर लम्हा अपना था, हर पल बस फैमिली टाइम,

हर रिश्ते में था प्रेम भाव, बिल्कुल न औपचारिक होते थे,

जाने क्यों पंकज हो गए, हम तो भाई हेमू ही अच्छे थे।

ये उन दिनों की बात है, जब हम सब सिर्फ बच्चे थे,



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