मेरी तबियत से नही मिलती....
मेरी तबियत से नही मिलती....
मेरी तबियत से नही मिलती, किसी की भी तबियत,
हम जहाँ की भीड़ में, तमाशा सा, दिखा करते है।
किसी के नज़रो में नही दिखती, मुझे, मेरी कीमत,
हम कभी कौड़ियों के मोल भी, नहीं बिका करते हैं।
मेरी तबियत से नही मिलती, किसी की भी तबियत…..
एक अरमान था मेरा, दो लफ्ज़, प्यार हो हासिल,
मेरे ख्वाब के ज़मीन को, थोड़ा, आसमाँ हो हासिल।
मेरे लफ़्ज़ो की भी, कभी कोई तो, कैफियत समझे,
मैं फसाना नहीं, लोग मुझको भी, हक़ीक़त समझें।
हम जाने क्यों सभी को, पागल से ही लगा करते है।
मेरी तबियत से नही मिलती, किसी की भी तबियत…..
मैं हक़ीक़त हूँ मुकम्मल, कोई झूठी, फरियाद नहीं,
में आता कल हूँ पल-पल, कोई गुजरी, याद नहीं।
कल ज़िक्र मेरा जब होगा, तब, इबादत भी होगी,
मुझको ढूँढना महफ़िल में, लोगों की आदत भी होगी।
हम रात की सियाही से भी, भोर ही, लिखा करते हैं।
मेरी तबियत से नही मिलती, किसी की भी तबियत…..