ये इश्क नहीं आसाँ
ये इश्क नहीं आसाँ
बड़ी मुश्किल से यार का दीदार होता है
फागुनी इश्क है भाई ये, मजाक है क्या।
हर घडी लाज का उनके सर परदा रहता है
फागुनी इश्क है भाई ये, मजाक है क्या।
मोहलत कहाँ मिलती होगी उनको यारा
सजने संवरने से घडी दो घडी भी इस उमर में।
फालतू हर कोई तुझसा होगा, मजाक है क्या।
चलो आज कोई फिलम देख ले चलो अगरचे
वालदेन का रहता है पहरा हर घडी सख्त।
इतना आसान नही ये इश्क, जानू मजाक है क्या।
बड़ी मुश्किल से यार का दीदार होता है
फागुनी इश्क है भाई ये, मजाक है क्या।
मिरी तौबा, बाज आया मै तो तेरे ऐसे प्यार में
ब्ल्लाह्, अरुण, तुमने क्या समझा आसान है क्या।