ये दर्द नहीं जायेगा
ये दर्द नहीं जायेगा
क्यों भटका है मुसाफिर कहाँ तक जायेगा
इस प्रेम नगरी के अन्धकार में
तू खुद को गुम कर जायेगा
तू सितारा हुआ करता था मेरा
सोचा ना था इतना धुंधला पड़ जायेगा
वो तो ऋतु बदलने का दौर था
क्या पता तू भी इस कदर बदल जायेगा
अरे ये तो दिल्लगी का दर्द है
अब ये दर्द नहीं जायेगा
तू चला गया खुद से इतनी दूर
उस राह से कब लौट कर आयेगा
तू उसके पीछे अपने को बर्बाद पायेगा
ऐसा मुसाफिर बन तू कौन सी मंज़िल पायेगा
ढूंढे से ना मिलेगा तुझको तेरा वजूद
तू उसके इश्क़ आगोश में समा जायेगा
ये तो वो मोहब्बत है जिसमें तू फना हो जायेगा
थक - हार तू भी ये कह जायेगा
अब ये दर्द नहीं जायेगा
क्यों अटका है अब तक उधर
वहाँ तो सब कुछ अधर में पायेगा
लूटा - मिटाकर सब कुछ यहाँ क्या हासिल कर पायेगा
तू तो इधर अपने नसीब को फोड़ जायेगा
जिसका साथ तूने किया वो क्या कोमल मन है
वो भी अपने किये का हिसाब नहीं लगा पायेगा
टूटा है वो भी प्रेम डगरिया पर बहुत बार
और कस्बे में प्रेमिका बन रोता रह जायेगा
बातों ही बातों में वो भी तुझको ये कह जायेगा कि
अब ये दर्द नहीं जायेगा
ऐसा कौन सा रास्ता है जिससे लोटा नहीं जायेगा
कर ले खुद में खुद को इतना बुलंद
फिर सब प्रेम अन्धकार मिट जायेगा
जब रोशन होगा तेरा अंतरमन
तब तू खुद में खुद को आबाद कर जायेगा
हर पल संभला होगा तेरा
फिर तेरा कौन क्या कर पायेगा
जब होगा तू सच्चे गुरु की शरण
तब तेरा ये दर्द भी चला जायेगा
फिर तू इंसानों की बस्ती में
एक फ़रिश्ता बन जग - मंगायेगा।