यादों का एल्बम
यादों का एल्बम


जब याद गाँव की आती है…
रातों की नींद जागती है...
जाते थे तब स्कूल,
दोस्तों का हाथ पकड़कर,
सब कुछ जाते थे भूल….
धूल मिट्टी में सनकर,
तब आता दिल को सुकुन…
गाँव के चौक- चौराहे पर,
लगती थी एक बाजार,
वहाँ जीवन था गुलजार…
चौपाल में गुल खिलते थे,
संस्कृति के पंख निकलते थे...
परंपरा की चौखट में
हम सब खेला करते थे.....
माँ चिल्लाकर कहती थी,
अब बस कर मेरे लाल,
आजा मेरी गोद में,
ले ले सुकून की सांस...
वो पल…
यादों के एल्बम में,
कोने में सँजोए रखे हैं,
वो कोना दूर से दिखता है,
जब याद गाँव की आती है
तब सिसक- सिसक
कर कहते हैं,
वो गाँव, शहर से अच्छा है,
चलो,
यादों का एल्बम पलटते हैं...