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Sajida Akram

Others

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Sajida Akram

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वो लड़की

वो लड़की

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कमसिन थी, वो अपने बालों में,

ख़ुशबू गूंथा करती थी,

बीच किसी रंगत की काया

रुप सलोना सादा सा,

नाज़ो-नखरे ,

आदत जैसे,

ओस के मोती जैसे शाख़ों पर,

रिमझिम-रिमझिम, जाने कितने,

ख़्वाब के बादल आंखों पर,

बोल जैसे सोंधी रुत में,

फूल चटकते गुलशन में,

फितरत जैस धूप में बच्चे,

धूम मचाते आंगन में.......।




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