वो लड़की
वो लड़की
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कमसिन थी, वो अपने बालों में,
ख़ुशबू गूंथा करती थी,
बीच किसी रंगत की काया
रुप सलोना सादा सा,
नाज़ो-नखरे ,
आदत जैसे,
ओस के मोती जैसे शाख़ों पर,
रिमझिम-रिमझिम, जाने कितने,
ख़्वाब के बादल आंखों पर,
बोल जैसे सोंधी रुत में,
फूल चटकते गुलशन में,
फितरत जैस धूप में बच्चे,
धूम मचाते आंगन में.......।
