उनको दुनियां कहती बच्चे !
उनको दुनियां कहती बच्चे !
दिल होते हैं जिनके सच्चे।
उनको दुनियां कहती बच्चे।।
पल में रोना, पल में हंसना,
खुश होते जब मिले खिलौना।
उनसे महके घर कोना- कोना,
"मिस" होता बचपन का खोना।।
कभी न देते किसी को गच्चे।
उनको दुनियां कहती बच्चे।।
लकड़ी की गाड़ी भी अच्छी,
लकड़ी का घोड़ा भी अच्छा।
नानी की मोरनी भी सच्ची,
फल खाते कच्चा या पक्का।।
बातें करते मटक- मटक के।
उनको दुनियां कहती बच्चे।।
पल की कुट्टी कितनी प्यारी,
तुरत ही यारी कितनी न्यारी।
टिफिन बांटना बारी-बारी,
बढ़ती उमर की यह तैयारी।।
दुनियां नापें खिसक-खिसक के।
उनको दुनियां कहती बच्चे।।
चाचा नेहरु के ये प्यारे,
दादा-दादी सदा दुलारे।
उनकी ज़िद पर दुनियां हारे,
चांद -खिलौना- तारे - प्यारे ।।
मां को देते प्यार चिपक के।
उनको दुनियां कहती बच्चे।।
एक था किस्सा बड़ा पुराना,
अकबर भी जब उनसे हारे।
कद्दू बड़ा , घड़ा था संकर ,
कद्दू उसमें कहां समाये।।
जाता थैया कर जो नाचे।
उनको दुनियां कहती बच्चे।।
