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Vikas Lalani

Abstract

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Vikas Lalani

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तू बस आग नहीं, एक जोत है माँ

तू बस आग नहीं, एक जोत है माँ

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तू सौम्य है, कोमल है माँ

तू बस आग नहीं, एक जोत है माँ

तु खास है, एहसास है माँ,

तू इंसान नहीं,भगवान है माँ


तू मेरा कवच है, तू अटल है माँ

तू खुदगर्ज नहीं, बहुत दयालू है माँ

तू धरती है, आकाश है माँ

तू बस ज्ञान नहीं, संस्कार है माँ

तू शुरुआत है, सफ़र है

माँ तू मुश्किल तो नहीं,

बहुत सरल है माँ


तू इंसान नहीं,भगवान है माँ

तू बस आग नहीं, एक जोत है माँ


तू सवाल नहीं, निष्कर्ष है माँ

तू बस जिंदगी नही, संघर्ष है माँ

तू डांट है फटकार है माँ

जो जिंदगी को देती आकार है माँ

तू नज़र है मेरी, मेरा तजुर्बा है माँ

तुझसे सीखा जीने का जज्बा है माँ


तू इंसान नहीं, भगवान है माँ

तू बस आग नहीं, एक जोत है माँ


मैं क्या था, तूने क्या बना दिया माँ

पत्थर को तराश दिया माँ

ये जो आज चमक है मुझमे

तेरे उजले से ही है माँ

क्योंकि तू बस आग नहीं, एक जोत है माँ।

तू इंसान नहीं,भगवान है माँ।


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