तुम
तुम
थोड़े करीब थोड़े से दूर हो तुम,
इन आँखों में जैसे एक नूर हो तुम,
बस तुम्हारे दीदार को तरसता रहता हूँ,
लगता है जैसे आसमान से आई कोई हूर हो तुम।
देख तुम्हें मदहोश हो जाता हूँ, जैसे कोई सुरूर हो तुम,
साथ हो तुम तो डर न किसी बात का जैसे मेरा गुरूर हो तुम,
और तुम्हारा आदित्य तुम्हारे साथ ही है पर,
गीत की ही तरह अंशुमन में मगरूर हो तुम।।
जानती हो इश्क़ है तुमसे फिर भी कर इनकार हंस देती हो,
क्यों इतनी क्रूर हो तुम,
सुबह-शाम खयाल रहता है तेरा,
यूँ ही नहीं मेरे ख्वाबों की गलियों में मशहूर हो तुम।।।