"सत्यम ,शिवम ,सुंदरम "
"सत्यम ,शिवम ,सुंदरम "
कान मेरे दुखने लगे किसी ने कहा तुम ऐसे लिखो,
किसी ने जोर दिया कहानियों में नायक नायिका का
प्रेमालाप लिखो !!
अपनी लेखनी में शृंगारों का लेप करो ,
रस अलंकार और शब्दों से तिलक करो !!
और विषयों को लोग दरकिनार समय के साथ कर देते हैं !
पर प्रेम के किस्से युग युग में अपना रूप बदलते रहते हैं !!
राजनीति समालोचना विवादों के घेरे में ही घूमती रहती है !
इसकी ज्वाला की लपेटो में सारी दुनिया जल जाती है !!
हम तो हैं बस सीधे- साधे सहजता में बातों को कहते हैं !
शिष्टाचार सरल भाषा में लोगों को समझाते हैं !!
कभी कविता, कभी लेखों में सरस बातें मैं करता हूँ !!
सत्यम शिवम सुंदरम के मंत्रों को जीवन भर मैं जपता हूँ !!
