स्मरण, अपने गाँव का
स्मरण, अपने गाँव का
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मशीन की घर्र - घर्र आवाज़
गाड़ी - मोटरों की कर्कश आवाज़
चारो ओर सोर ही सोर
चारो ओर कारखानों की चिमनी
चिमनी से निकल रहे
काले धुएॅं से
नगर ढक गया है...
पर,
ऐसे नगर में रहते हुए
एक ऐसी जगह ने
मेरे मन को चुरा लिया
मेरे मन को मोहित किया
याद हो आता है मन में
पहाड़ - जंगलों से घिरा
पेड़ - लताओं से सजा
वह मेरा गाँव है
हाँ, हाँ फूलों की वह
बागवान
मीठे कुएॅं का पानी
धूल - उड़ाती पगडण्डी
घनी पेड़ की छाँव
याद हो रही है...
