राहु का राही
राहु का राही
हम तो हैं राह के मुसाफिर
चलना हमारा काम है
जो गिर कर भी उठ खड़ा हो
उसी का ही नाम है।
तू बढ़ा जा ऐ मुसाफिर
अपनी मंजिल की ओर।
क्योंकि तेरी मदद करते
खड़े हमेशा सीताराम है।
जो रुका नहीं थका नहीं
अपने हौसलों की बुलंदी से।
भगवान हो या इंसान
वही जग में महान है।
