फिर वही ज़िन्दगी
फिर वही ज़िन्दगी
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ये कैसी ज़िन्दगी,
कभी घुटन, कभी थकान,
कभी जलन, कभी चुभन,
इक पल की खुशी के बाद
फिर वही ज़िन्दगी।
ये कैसी ज़िन्दगी,
न सीखना, न सिखाना,
न समझना, न समझाना
इक पल के सन्नाटे के बाद
फिर वही ज़िन्दगी।
ये कैसी ज़िन्दगी,
अपना खून अपना,
पराया खून पराया,
किसी पराये के दर्द
को नहीं समझती।
ये कैसी ज़िन्दगी।
