फिल्मों की दुनिया
फिल्मों की दुनिया
फ़िल्मों की दुनिया भी एक अलग, अनोखी होती है
ये हमें हमारी ही अपनी इस क्षणिक जीवन की
कहानी को पर्दे पे उतार रही होती हैं !
बिल्कुल कभी ख्वाब को हकीकत में बदलकर
तो कभी हकीकत को भी एक ख्वाब का शक्ल दे देती है !
मगर कुल संख्या ये फ़िल्मों की रंग- बिरंगी दुनिया
हमें हमारी ही दास्ताँ को चलचित्र का शक्ल अख्तियार कर
बयां कर रही होती है !
लेकिन अकस्मात ही कभी जाने- अनजाने में ही,
या कभी जान-बूझ कर भी !
या कभी दूसरों के प्रभाव में या कभी किसी की दबाव में
अपनी तय सीमा का अतिक्रमण कर देती है,
तो समाज को पंगु बना देती है फ़िल्मों की दुनिया,
उन्हें अपने मूल्यों और संस्कृतियों से कोसों दूर एक बेढंगी दुनिया का
मार्ग प्रशस्त करवा देती है फ़िल्मों की दुनिया!
जो कि समाज के लिए दीमक का काम करते हैं,
ये समाज को अंदर से खोखला करती जाती हैं,
ये फ़िल्मों की चकाचौंध वाली दुनिया!