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Dinesh paliwal

Others

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Dinesh paliwal

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नदी और पत्थर

नदी और पत्थर

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बहाव नदी का क्यों कैसे,

पत्थर को काट के जाता हैं,

इस कथा को जब भी सुना हमने,

हर कोई नदी की गाथा गाता है,

आज सुनो पत्थर की कहानी,

क्यों वो दिल ही दिल रोता है,

बस नदी का ही क्यों महिमा मंडन,

पत्थर के भी तो दिल होता है,

अल्हड़, मचलती, इठलाती नदी,

निर्झर हरदम बस बहती ही रहे,

इस कि कल कल की ध्वनि से,

बस संगीत की लहरी बजती रहे,

इस कि नटखट सी छापों से ये,

जब अपने सब अंग भिगोता हैं,

नदिया का जीवन पोषित करने को,

पत्थर अंग अपना एक एक खोता है।।



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