मेघपुष्प
मेघपुष्प
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सावन का मौसम जब आए।
रिमझिम रिमझिम रस बरसाए।
धुला - धुला सा हर शय लगता-
कुदरत का मन मन मुस्काए।
मेघपुष्प बरसा कर जलधर।
कण-कण को नहला धुला कर।
एक - एक रंग खिलकर उभरे -
लगे दृश्य मन को अति सुन्दर।
चटक रंग कुदरत में भरता,
आँखों में नया चित्र उभरता।
नव अंकुर कोपलें निकलते -
हरा भरा वन उपवन करता।
बरखा की नन्हीं सी फुहारें
लाती हैं हर तरफ बहारें।
मनमोहक लगती छवि प्यारी-
जी भरता नहिं जितना निहारें।