मेघों की सीनाजोरी
मेघों की सीनाजोरी
घन घनन घनन गरजे मेघा मूसलाधार बरसात हुई।
बादल इतना ज्यादा रोए, सारी सड़कें जलमग्न हुईं।
न जाने कितने ही शहर , इस वर्षा में डूब गए।
लाखों लोग हुए बेघर , कितने पानी में समा गए।
मेघों की ये सीनाजोरी, कितने सपने छील गई।
नेताओं की उदासीनता कई जिन्दगी लील गई।
नेताओं तुमसे विनती है, उस पर थोड़ा ध्यान करो।
बाढ़ और सूखे से निपटने के हर संभव यत्न करो।
बरसात के मौसम से पहले कुएँ खुदवाना।
बरसात के पानी का संचय का जतन करना।
न फिर सूखा पड़ेगा और न ही बाढ़ आएगी।
पसीने से कमाई दौलत, तब बह न पाएँगी।
अति वर्षा... अति सूखे से पीड़ित कोई न होगा।
रहनुमाओं! तुमको इस बारे में कुछ तो करना ही होगा।