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Renu Sahu

Children Stories Fantasy Inspirational

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Renu Sahu

Children Stories Fantasy Inspirational

माँ ! बच्चा ही बनाता है

माँ ! बच्चा ही बनाता है

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नारी को स्त्री से माता, बच्चा ही बनाता है।

फिर उसी आंचल में छिप कर ,

अपना हर ग़म भुलाता है।

रचने वाले प्रभुओं ने लिखे भाग्य है न्यारे।

खुद शिशु बन कर आये, माँ अनुसुइया के द्वारे।

कैकयी को प्रेम विवश कर, राम! श्री राम हुए।

यशोदा के नंदन भी तो, जगत के घनश्याम हुए।

है मजा! माँ की डांट में कि गणपति, 

मोदक लड्डू चुराता है।

नारी को स्त्री से माँ, एक

शिशु ही बनाता है। और

फिर उसी आंचल में छिप कर ,

हर ग़म अपने भुलाता है।


इस आँचल को रंग बसंती, माँ विद्यावती का लाल फांसी झूला।

जय हिन्द का नारा देकर, माँ प्रभावती का हौसला बोला।

अम्मी आशिअम्मा की दुआ ने मिसाइल, आंतरिक्ष में था पहुंचाया।

तो, भीमा बाई का लाल तप कर, संविधान की पोथी लिख आया।

अंजनी पुत्र की भक्ति गाथा, सकल विश्व ये तर जाए।

कृष्णा वाजपई के लाल के रस में सच्चा, देश प्रेम नजर आये।

रमा भनोट की शेरनी गरज, आतंक का दर्प रौंदी थी।

जयवंताबाई के मुलगे ने, मुगलों की कब्रें खोदी थी।

 शकुंतला का भारत खेल में, सिंह दांत गिन आता है।

और जीजाबाई के छत्र से तो, दिल्ली का शासन थर्राता है।

माताओ के विश्वास पर ही तो देश मेरा गुर्राता है, और 

इसकी आँचल में छिप कर बच्चा हर गम अपने भुलाता है।

नारी को स्त्री से माता, बच्चा ही बनाता है।

और ममता का विश्वास ले बच्चा, खुद इतिहास बन जाता है।


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