किताबों से मित्रता
किताबों से मित्रता
मेरी किताब मुझे लगती है वो सबसे प्यारी ,
मिलते जबाव इसमें उलझने सुलझाती सारी,
जीवन जीने का सलीका मुझे सिखाया इसने,
सही और गलत का ज्ञान मुझे कराया इसने,
जाने कितनी रातें इसके संग मैंने गुजारी हैं,
भाव और विचारों की ताकत इसमें अनोखी है,
पढ़ो तो जमीन से आसमान तक पहुंचा देती,
मंजिल तक पहुँचने का सही मार्ग दिखा देती,
मन में धारण कर लेता जो भी इसका ज्ञान,
जग में बन जाती है उसकी ऊँची वो पहचान,
हमने ख़्वाब जो भी देखे वो सब पूरे कर देती,
किताबें जीवन में अनगिनत खुशियाँ भर देती,
खामोश रहने वालों के लिए ये एक आवाज है,
अपने नए भारत के सपनों का यही आग़ाज है,
खामोशियों में अकेलेपन की बन जाती साथी है,
संस्कारों से ओतप्रोत ये अच्छा इंसान बनाती है,
इन किताबों को जानो तो पूरा इसमें संसार बसा,
कहीं किसी के अल्फाजों का है इसमें प्यार बसा,
गीत –संगीत और धर्म - वेदों का विस्तार इसमें,
पिता- सा प्यार तो कभी माँ का है दुलार इसमें,
ज्ञान के भण्डार से सबके व्यवहारों को संवारता,
शिक्षा का आशीष देकर भविष्य को है निखारता,
सच्चा मित्र बनकर हमेशा साथ हमारा निभाता है,
नैतिकता का पाठ पढ़ाकर मूल्य हमें समझाता है I