किसान
किसान
खेत की मेढ़ पर
दोपहर की तेज़ धूप में
जोर से चल रही
तेज़ गर्म हवा की तमाचे से भी
सख्त सीधे खड़े रहते हो
अरे वो किसान
ग्रहण करो मेरा जोहार...
सभी तरह की मौसम में
तुम सख्त खड़े रहते हो
तुम्हारे लिए,
क्या दिन
क्या अँधेरी रात
हर वक्त, हर समय
देह की लाल खून
पसीने के रूप में बहाते हो
चलो सबसे पहले
ग्रहण करो मेरा जोहार...
सुखाड़ हो या
बाढ़ हो
या आसमान से वर्षा ही गिरे
तुम पहाड़ जैसा सख्त
खड़े रहते हो,
धरती की हृदय चीरकर
बीज डालते हो
खाना उपाजते हो
और मनुष्यों के चेहरे पर
हँसी लाते हो
ग्रहण करो
मेरा जोहार...
