STORYMIRROR

खिडकी

खिडकी

1 min
14K


रोशनी से कमरे को

लबा-लब करती खिड़की

किसी के इंतज़ार को

यक बा यक़ सजती खिडकी।


बिखरती चंपा-चमेली की

खुशबू से नहाती खिडकी

पता है लौटके ना आयेगा

फिर भी कोई टोटका खिड़की।


कोई बारात, कोई जुलूस

या मातम से रू-बरू खिड़की

किसी की आँख की खुशी

तो नम आँख से झलकती खिडकी।


इतनी संजीदा, इतनी बेबाक

वक्त की धड़कने गिनती खिड़की

जरा जी लीजिये खोल दीजिये

जो बंद है आपके घर की खिड़की।


Rate this content
Log in