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mohd aspaq

Abstract

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mohd aspaq

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जीवन यात्रा

जीवन यात्रा

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पूछा जो मैंने एक दिन खुदा से,

अंदर मेरे ये कैसा शोर है,

हंसा मुझ पर फिर बोला,

चाहतें तेरी कुछ और थी,

पर तेरा रास्ता कुछ और है,

रूह को संभालना था तुझे,

पर सूरत सँवारने पर तेरा जोर है,

खुला आसमान, चांद, तारे चाहत है तेरी,

पर बन्द दीवारों को सजाने पर तेरा जोर है,

सपने देखता है खुली फिजाओं के,

पर बड़े शहरों में बसने की कोशिश पुरजोर है.



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