हे राम तुम कैसे पुत्र थे ?
हे राम तुम कैसे पुत्र थे ?
हे राम एक सवाल पूछूं
आपसे जवाब देंगे क्या ?
वनवास जाना आपकी
मजबूरी थी या शौक ?
चलिए मान लिया ये
आपकी अपनी सोच थी।
सिर्फ और सिर्फ अपने
पिता के दिए वचन को
सार्थक करने को।
लेकिन जब वो पिता ही
अपने वचन से आपको
मुक्त करने लगे फिर भी
आप वन जाने पर क्यों तुले।
मुझे इस बात से बहुत कष्ट होता है
आपके इस कृत्य से
आपके पिता कितने पीड़ित
हुए फिर भी आप अपने
उन वचन पर अडिग,
पिता के प्राण त्याग
का सबब बने
हे राम तुम कैसे पुत्र थे ?
यूँ लाखों सवाल हैं मेरे मन में
लेकिन शुरू में मैंने एक ही
सवाल की मोहलत मांगी थी
इसलिए अभी के लिए सिर्फ यही -
बाकी आपके द्वारा इसका
स्पष्टीकरण आने के उपरान्त ,
देखिये क्योंकि मुझे भी तो
अपने वचन का सम्मान
रखना था न, आपकी तरह
आपका अपना ही ..........