घूंघट
घूंघट
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घूंघट कह लो पर्दा कह लो
या फिर कह लो हिजाब या बुर्का।
कुछ भी कह लो, पर हक़ीकत एक ही है,
फर्क बस ये है, मज़हब बदल जाता है,
घूंघट में हिन्दू तो बुर्के में मुस्लमान कहलाता है
पर्दा, घूंघट या हिजाब ,
ये सब सिर्फ औरत के हिस्से में ही आता है।
कहते है लोग पर्दे में रहो बिना इसके ना आगे बढ़ो,
शर्म, लाज और हया रख अपने बदन को तुम ढको।
कहते है लोग, पर्दे में रहो,
यहां देखकर तुम्हें आदमी का ईमान बदल जाता है,
ना हो पायेगा उनसे निगाहों का पर्दा
इसलिये ये पर्दा हर दम औरत का हिस्सा बन जाता हैं।