STORYMIRROR

Shailaja Bhattad

Others

3  

Shailaja Bhattad

Others

बसंत

बसंत

1 min
158

फैली हरियाली अनंत।

लो आ गया बसंत।

है नहीं अब सुकून का अंत।

पतझड़ के बाद बसंत।


फूलों पर लहराती तितली।

भंवरों की चाल है बदली।

रंगों की हो रही होली।

बन गए सब हमजोली।


नव वर्ष का आगमन।

सुसंस्कृत भाव का समागम।


पतंगों का खेल।

है नहीं कोई ऊंच-नीच का भेद।


Rate this content
Log in