भजन
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मुझे अपनी शरण में ले ले, मैं तेरी शरण में आई
मैंने तुझ संग प्रीत लगाई मैं तेरी शरण में आई
तेरी पूजा की थाली में, आस की जोत जलाई
मेरी आशा पूरी कर दे ,तू जग की महा माई
मैंने तुझ संग प्रीत लगाई मैं तेरी शरण में आई
मुझे अपनी शरण में ले ले , मैं तेरी शरण में आई
तेरे द्वार पे जो भी आया, तूने प्रीत निभाई
तेरे द्वार की मैं हूं दासी, मेहर की आस लगाई
मैंने तुझ संग प्रीत लगाई, मैं तेरी शरण में आई
मुझे अपनी शरण में ले ले , मैं तेरी शरण में आई
तेरी नजर का नूर मिले तो ,जग की दौलत पाई
मुझे दे दे ,नूर की माया , मैं बड़ी दूर से आई
मैंने तुझ संग प्रीत लगाई, मैं तेरी शरण में आई
मुझे अपनी शरणं में ले ले , मैं तेरी शरण में आई।
