भजन
भजन
भजन
गली -गली हर घर आंगन में,मचा हुआ है शोर
खोल दो मन के द्वार अपने,भाग न जाए चोर ।
मोर पंख से मुकुट सजाए, पाओं पैजनियां शोर
मुरली की जब तान सुनाए,नाच उठे मन मोर
खोल दो मन के द्वार अपने,भाग न जाए चोर ।
जिस घर आंगन में वो आए,खुशियों का हो दौर
किस दुविधा में पड़े हो प्यारे,वो है माखन चोर
खोल दो मन के द्वार अपने,भाग न जाए चोर ।
गोबिंद ,गौपाल,कृष्ण - कन्हैया,मोहन, नंद किशोर
बांध लो प्रीत की डोर इससे,यह है नटखट चोर
खोल दो मन के द्वार अपने,भाग न जाए चोर।
गली -गली हर घर आंगन में, मचा हुआ है शोर
खोल दो मन के द्वार अपने,भाग न जाए चोर।