भेदभाव
भेदभाव
भेदभाव तो मन का भाव है
जो दे जाता हरदम घाव है
राजा और प्रजा में भेदभाव
अमीर गरीब , शासक शोषित
चारों वर्णों में भेदभाव
वर्णों में भी जातियों में भेदभाव
बेटे बेटी में भेदभाव
बेटी और बहू में भेदभाव
धर्म के आधार पर भेदभाव
भाषा , प्रांत में भेदभाव
विकसित विकासशील का भेद
गोरा और काला का भेद
दानव, देवता का भेद
हर जगह नजर आता भेद
इसी से उपजता असंतोष
जो पैदा करता है अति रोष
फिर या तो महाभारत होता है
या फिर कोई विश्व युद्ध ।
यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है
परिवार, समाज के लिये घातक है
सरकार को इससे बचना चाहिए
भेदभाव छोड़ समान समझना चाहिए
काश, ऐसा हो जाए
तो यह धरा स्वर्ग बन जाए।
