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DR MANORAMA SINGH

Abstract Classics Inspirational

4  

DR MANORAMA SINGH

Abstract Classics Inspirational

भारत की चेतना हैं राम

भारत की चेतना हैं राम

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भारत तुम्हारी चेतना के प्राण

ही तो राम हैं, 

देवाधिदेव के भी देव केवल राम हैं,

राम पर प्रश्न चिन्ह लगा,

उन्हीं की भूमि में

थी जिनके लिए जन्मभूमि स्वर्ग से भी अधिक सदा,


किसी और के ईश पर

कहाँ माँगा हमने प्रमाण,

पर अस्तित्व और प्रमाण

राम ने स्वयं दिये,

दुख है हम सभी ने


ऐसे काल खण्ड भी जिये,

पंचसदी की चिरप्रतीक्षा,

खण्डित थी हर हिन्दू आस्था,

विधि और न्याय के स्वामी तुम,

पर विधि से ही स्थापित तुम,


राम भी विधि से ऊपर नहीं

विधि की मर्यादा से बंधकर

प्राण प्रतिष्ठित हो कर तुम

मर्यादा पुरुषोत्तम का

सन्देश जगत को देते तुम,

स्वयं को प्रमाणित करके,


रामराज्य ही लोकराज्य है,

ऐसे जनमन के प्रिय ही तो राम हैं,

भारत तुम्हारी चेतना के प्राण ही तो राम हैं।।


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