अरमान...
अरमान...
कहना तो बहुत कुछ था इस दिल को
पर जज्बात दिल में ही सिमट गये
कभी तो आओ इस दिल का हाल पूछने...
दिल में जज्बातों का सैलाब उमड़ रहा
ना जाने क्यों भावनाओं का तूफान उठ रहा
दूर हो गये इतने कि आज मजबूर हो गये
वक़्त का ऐसा सितम जो दिलों में फासले कर गये
एक दौर था जब मुलाकातों का सिलसिला था
और आज इंतजार का लम्हा गुजरता नहीं
ये कैसी बेबसी कि लब खामोश
और दिल इजहार को मचल रहे
काश खामोशी ही पढ़ पाते
तो दिल को सुकून दे जाते
कैसे बताऊं "अपने अरमानों की दुनिया"
जो तुमसे शुरू और तुम पे ही तो खत्म है
गिले-शिकवों में जिंदगी उलझाएं क्यों
आओ दिलों में प्यार ही प्यार भर डालें!!!