अपनी टोली में
अपनी टोली में
तेरे गाँव की गलियों में आज हमारा आना हुआ
नज़राना तुम्हारा हमको क्यों वीराना बना गया
सिलाना था उन गहरें जख्मों को जो थे तूने दिये
फिर से बिछड़ी यादों के पहरे आंखों को भर गये
किस कद्र तेरा मुस्कराना हमको दीवाना कर गया
क्या खूब सजी थी तेरे घर के लिए वो पगडंडियां
जहां श्वान का चिल्लाना हम पर यूँ ही मस्त छा गया
याद रखूँगा मन को जीत लेने का तराना कैसे है बजा
क़दमों से अपनी टोली में तेरा गाँव हमने नाप है दिया
तेरे गाँव के चौराहे पर है आज बड़ी भीड़ लगी
देखो वहां तेरे कितने मजनुओं की है होड़ जमीं
फिर आने - जाने वालों को वो कैसे ताक है रहे
मंद - मंद मुस्करा हमें ना जाने क्या आँक है रहे
मन का कोतुहल उन्हें ना जाने कितना सता रहा
सवालों के समंदर में हर कोई वहां गोते खा रहा
कोई कहने लगा लगता है ये लुटेरों की फौज है
इनको आज अपने लिये नये मुर्गों की खोज है
अपनी टोली में उत्साह संग बड़ा ओज है सजा
आज तुम्हारे गाँव की लगाई बारी है
कल कहीं ओर हमारी लूट की तैयारी है
हम लूटने तुम्हारे यहां का अंधकार आये
फैलाने ज्ञान का प्रकाश हम दूर तक चले
तेरे गाँव का अब ना एक भी कोई घर बचा
हमनें ज्ञान चक्षु से यहां हर बच्चा परख लिया
तुम लोग भी ठान लेना हमारा कहना मान लेना
अपने बच्चे को अच्छा पढ़ाकर जग में महान बनाना है
अपनी नहीं हम सबकी की टोली का मान बढ़ाना है।