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ravindra kumawat

Others

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ravindra kumawat

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आत्मपरिचय

आत्मपरिचय

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मैं सपनों में खोया रहता हूं 

अपनो से रोया रहता हूं 

काबिल हूँ अब मंजिल के लिए 

पर अभी भी बीज सा बोया रहता हूं 


मैं उठा पटक का आदी हूं 

मैं स्वभाव से उन्मादी हूं 

मैं खोई हुई सांस की जगी आस हूं 

मैं फरियादी दिल की आबादी हूं


मैं नाज नखरों का थोड़ा सा परहेजी हूं 

मैं नई सोच संग सीधा साधा सा देशी हूं 

दिखावट से दूर एक वास्तविक हूं 

परन्तु मैं कल्पनाओं का बहुभाषी हूं 


मैं उत्साह का अपार संचार हूं

मैं आशावादी गुलजार हूं 

कल्पनाओं से हर दम भरी हुई

कर्मठ उम्मीदों से लाचार हूं 


मैं ऊंची उड़ानों का अभूतपूर्व रोर हूं 

मैं अनुभवी, परन्तु नौसिखिया दिल चोर हूं 

मैं सबसे आगे बढ़ना चाहता हूं 

परन्तु मैं अन्तर्मन में बेमतलब एक शोर हूं .....


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