आख़िर
आख़िर
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अपने दिल की दे दो किताब आखिर,
तुम रक्खो न यूँ ये हिजाब आखिर।
खामोशी से बात कहाँ बनी है,
खुल के मुझको दे दो जवाब आखिर।
प्यारे चेहरे को तो देखने दो,
यूँ डालो न रुख़ पे नकाब आखिर।
तेरे हुस्न की ये जो देख रंगत,
चढ़ आया मुझे भी शवाब आखिर।
आँखें देख कब से मैं झूमता हूँ,
मैंने जो पी ली थी शराब आखिर।
थामो आँधियों में चराग हाथों,
देगा कौन फ़िर वो हिसाब आखिर।