वक्त ! वक्त !
हमने इस जख्म पे मरहम लगाते–लगाते मैंने अपना उम्र खो गया ! हमने इस जख्म पे मरहम लगाते–लगाते मैंने अपना उम्र खो गया !
विवशताओं से भरी वे लाचार रहती हैं, क्यूँ ये ज़िन्दगी मासूम सवाल करती हैं। विवशताओं से भरी वे लाचार रहती हैं, क्यूँ ये ज़िन्दगी मासूम सवाल करती हैं।
शोहरत, दौलत, रुतबा, सब हुए बेमाने से, करवटें ली है साल ने बेहद फरेबी। शोहरत, दौलत, रुतबा, सब हुए बेमाने से, करवटें ली है साल ने बेहद फरेबी।
कहतें हैं की उम्र और बुद्धि की कभी भेंट नहीं होती क्योंकि उम्र रास्ते तलाशती है और बुद्धि मंजिल. कहतें हैं की उम्र और बुद्धि की कभी भेंट नहीं होती क्योंकि उम्र रास्ते तलाशती है ...