"हकीकत में थोड़ा जहर पीना चाहती हूँ, शायद इसीलिए जीना चाहती हूँ |" "मैं से शुरू की,मैं पे खत्म की तो फिर तुमने, अपनी जिंदगी सही मायने में कहाँ जी "!
दुर्गा काली का भी रूप याद दिलाऊँगी दुर्गा काली का भी रूप याद दिलाऊँगी
सोचो जरा! वो क्या दृश्य होता होगा जहाँ लड़कियाँ चीखती चिल्लाती होंगी। सोचो जरा! वो क्या दृश्य होता होगा जहाँ लड़कियाँ चीखती चिल्लाती होंगी।
ए ख्वाबों की तितलियों हकीकत के फूलों से मिलो न जरा सा ए ख्वाबों की तितलियों हकीकत के फूलों से मिलो न जरा सा
जो बातें दिल में रख चुकी अब किसी से बोलना नहीं चाहती जो बातें दिल में रख चुकी अब किसी से बोलना नहीं चाहती
सुनो सिर्फ एक थप्पड़ ही तो था, और उसकी गूँज में, मेरे पुरुष होने का अभिमान था. सुनो सिर्फ एक थप्पड़ ही तो था, और उसकी गूँज में, मेरे पुरुष होने का अभिमान...
क्या उनके गेसुओं में मोहब्बत के गज़रे सजाने का वादा है! क्या उनके गेसुओं में मोहब्बत के गज़रे सजाने का वादा है!
अब 12 वर्ष के बच्चों में बचपना नहीं रहा वो अपने निर्णयों के लिए आत्मनिर्भर हो चुके है अब 12 वर्ष के बच्चों में बचपना नहीं रहा वो अपने निर्णयों के लिए आत्मनिर्भर ह...
आदर्शों की पोटली बांधे गयी बड़े शान से। आदर्शों की पोटली बांधे गयी बड़े शान से।
मैं लिखूँगी फलसफे जिंदगी के, क्या तुम मेरी किताब बनोगे। मैं लिखूँगी फलसफे जिंदगी के, क्या तुम मेरी किताब बनोगे।
बदल जाती है घर की दहलीज बदल जाती है उसकी पहचान। बदल जाती है घर की दहलीज बदल जाती है उसकी पहचान।