सुरभि शर्मा
Literary Brigadier
AUTHOR OF THE YEAR 2021 - NOMINEE

111
Posts
124
Followers
3
Following

"हकीकत में थोड़ा जहर पीना चाहती हूँ, शायद इसीलिए जीना चाहती हूँ |" "मैं से शुरू की,मैं पे खत्म की तो फिर तुमने, अपनी जिंदगी सही मायने में कहाँ जी "!

Share with friends
Earned badges
See all

शातिर दुनिया की चालों में मासूमियत उजड़ती गयी बिक गयी अच्छाई रूह की कीमत पर साँसे बस बाजार की तरह चलती गयी |

जिंदगी के इस बगीचे में हमने भ्रम के कई पौधे रोप रखे हैं जिन पर अक्सर खिला करते हैं कल्पनाओं के कुछ खूबसूरत फूल और कभी उगते हैं अनुभवों के कुछ कैक्टस| सुरभि शर्मा

सम्वेदना चीत्कार रही शब्द अब मौन हैं | सुरभि शर्मा

सुबह उठी तो पलकें गीली थी लगता है रात भर उसने बड़ा मुस्कुरा के मेरा नाम लिया है | सुरभि शर्मा

जिंदगी अगरबत्ती सी जलती रही कभी धुएँ से आँखे भरी, तो कभी चन्दन सी महक बिखरती रही| सुरभि शर्मा

ज्यादा मशहूर होना भी अच्छा नहीं साहब चाशनी में पगे मीठे रिश्तों के कड़वे सच सामने आने लगते हैं | सुरभि शर्मा

ज्यादा मशहूर होना भी अच्छा नहीं साहब, चाशनी में पगे मीठे रिश्तों के कड़वे सच सामने आने लगते हैं | सुरभि शर्मा

सितारों की जगमगाती महफिल में, ए चाँद! तू क्यों तन्हा गुनगुना रहा है? क्या तुझे भी कोई अपना बेइंतहा याद आ रहा है? सुरभि शर्मा

"दुनिया का सबसे बड़ा गम तुम्हारे पास ज्यादा मेरे पास कम "


Feed

Library

Write

Notification
Profile