यूंही खोते खोते ज़िन्दगी को, रुककर कुछ देर ढूंढ रही हूं खुद को, कागज़ और कलम में जी रही हूं खुद को।
किसके हिस्से में लिखोगी ये सवाल फिर आया मन में दर्पण को देखा किसके हिस्से में लिखोगी ये सवाल फिर आया मन में दर्पण को देखा
मां तेरी अहमियत तो मैं मां बनकर ही पहचान पाई ! मां तेरी अहमियत तो मैं मां बनकर ही पहचान पाई !
लोग पूछते हैं आजकल के हालात पर कुछ क्यों नही लिख रही! लोग पूछते हैं आजकल के हालात पर कुछ क्यों नही लिख रही!
छलिया को सजा सुनाने वाले की कमी रही राम के युग में भी स्त्री के साथ बदी हुई छलिया को सजा सुनाने वाले की कमी रही राम के युग में भी स्त्री के साथ बदी हुई
ना मोहब्बत पर कुछ कहने आईं हूं, ना बेवफाई के किस्से सुनाने आई हूं, ना मोहब्बत पर कुछ कहने आईं हूं, ना बेवफाई के किस्से सुनाने आई हूं,
होली में एक रंग हो तेरे गांव से, कुछ गुलाल मैं भेजूं अपने गांव से! होली में एक रंग हो तेरे गांव से, कुछ गुलाल मैं भेजूं अपने गांव से!
आसान कहां है किसी मजबूत महिला से प्रेम करना! आसान कहां है किसी मजबूत महिला से प्रेम करना!
कमर पर दुपट्टा बांधकर तुम्हारे घर की जिम्मेदारियां उठाते हुए, हां! मैं वही नारी हूं। कमर पर दुपट्टा बांधकर तुम्हारे घर की जिम्मेदारियां उठाते हुए, हां! मैं वही...
मां बेटा रोशनी की आंखों में ये विद्रोह देखकर उसे रोकने की हिम्मत नहीं कर पाए। मां बेटा रोशनी की आंखों में ये विद्रोह देखकर उसे रोकने की हिम्मत नहीं कर पाए।
जिससे वो सूंघ पाए अपनी पत्नी की सफलता की महक। जिससे वो सूंघ पाए अपनी पत्नी की सफलता की महक।