नमस्कार! मेरा नाम अमन कुमार (अमन बरनवाल) है| मैं पिछले १० वर्षो से कविताएं लिख रहा हूँ| मेरी कविताएँ आप मेरे ब्लॉग (swaman7.wordpress.com) पर भी पढ़ सकते है| साकारत्मक कविताओं के लिए मुझे जरुर फॉलो करें| धन्यवाद |
मेरी खाली बुद्धि में न जाने कितने, ज्ञान के मोती भरते थे मेरी खाली बुद्धि में न जाने कितने, ज्ञान के मोती भरते थे
दूसरों से कोई उम्मीद मत करो, तुम बस अपना कर्तव्य निभाओ। दूसरों से कोई उम्मीद मत करो, तुम बस अपना कर्तव्य निभाओ।
ख्वाहिशें बड़ी बेशर्म है, मिटती नहीं है। पूरी करने में हमारे हौसले बिक जाते है। ख्वाहिशें बड़ी बेशर्म है, मिटती नहीं है। पूरी करने में हमारे हौसले बिक जाते ह...
तेरे वजूद को जो यहां भी है और मेरे अंदर भी। तेरे वजूद को जो यहां भी है और मेरे अंदर भी।
सोचो कि अगर ये मंजर आखिरी हो। सोचो कि अगर ये मंजर आखिरी हो।
काश गर्व हो मेरी मां को भी मेरी मां कहलाने का। काश गर्व हो मेरी मां को भी मेरी मां कहलाने का।
कुछ खूबसूरत सा पल आज बहुत कुछ दे गया। कुछ खूबसूरत सा पल आज बहुत कुछ दे गया।
भूख में धोखा खा कर, शायद पेट भर गया होगा। फल ना सही बारूद सही, भीतर तो गया होगा। भूख में धोखा खा कर, शायद पेट भर गया होगा। फल ना सही बारूद सही, भीतर तो गया हो...
उठ ही गए हैं जो अगर अब हम तो आओ सबको जगाते चलते हैं। उठ ही गए हैं जो अगर अब हम तो आओ सबको जगाते चलते हैं।
किसी को मुस्कान दे दी बेवजह ही और किसी को बेआवाज चीख दे गया। किसी को मुस्कान दे दी बेवजह ही और किसी को बेआवाज चीख दे गया।