None
माता सम्मुख दूत पठाया, वैभव अपना खूब बताया। माता सम्मुख दूत पठाया, वैभव अपना खूब बताया।
आई ऋतु है शिशिर, हर वर्ष आती फिर, दिखे शीत का कहर, काँपे सभी थर थर। आई ऋतु है शिशिर, हर वर्ष आती फिर, दिखे शीत का कहर, काँपे सभी थर थर।
भव सिंधु से राम तारते तन मन धन प्रभु चरण वारते॥ भव सिंधु से राम तारते तन मन धन प्रभु चरण वारते॥
बाधा सभी खुद जीत लो श्रम की सदा तुम रीत लो बाधा सभी खुद जीत लो श्रम की सदा तुम रीत लो
ओस बूँदें हैं झलकती, हर निशा अवसान में। ओस बूँदें हैं झलकती, हर निशा अवसान में।
नीति विवेक निवास करें शुभ, देह विशेष अशेष रहे थे। नीति विवेक निवास करें शुभ, देह विशेष अशेष रहे थे।
घिरा देखो घना कुहरा, बताओ वर्ष नव कैसे? ठिठुरते हैं सभी छुपकर, बताओ वर्ष नव कैसे? घिरा देखो घना कुहरा, बताओ वर्ष नव कैसे? ठिठुरते हैं सभी छुपकर, बताओ वर्ष नव क...
बात पुरानी याद दिलाती, अब अपना क्या मान है? बात पुरानी याद दिलाती, अब अपना क्या मान है?
प्रेम की वल्लरी जागने थी लगी। जाल से प्रेम के बाँधने थी लगी॥ प्रेम की वल्लरी जागने थी लगी। जाल से प्रेम के बाँधने थी लगी॥
पद्म आसन श्वेत निर्मल, श्वेत माला साजती पद्म आसन श्वेत निर्मल, श्वेत माला साजती