उड़ान भरते सपने ,ज़मीन पर कदम, अठखेलियां करते विचार हरपल मन के गलियारे में,....... उन सपनों को जीती , कल्पनाओ में रहती मैं. और कहूँ क्या अपने बारे में Qualification- BSc with biology and post graduation with education . Won many prizes in various compititions. Love to read new books. always try... Read more
Share with friendsफ़र्ज़ मेरा, मेरी सांसों का, अंत शुरू सब तुझ पर है। कर्ज़ तेरा, तेरी माटी का, ऐ दे
Submitted on 16 Aug, 2020 at 20:46 PM
विश्वपटल पर चमकेंगे भारतीय, आने वाले समय में, भारत का राज होगा।
Submitted on 16 Aug, 2020 at 16:49 PM
कच्ची डोर का पक्का रिश्ता, राखी धागों का त्योहार
Submitted on 26 Jul, 2020 at 20:19 PM
कभी धर्म के नामों पर लड़ाई रहती है, हर किसी के मुंह पर अपनी बड़ाई रहती है
Submitted on 15 Mar, 2020 at 10:39 AM
तू मुस्कुरा दे और मैं तारे तुझ पर छिटकाऊँ उस चाँद के दोने से।
Submitted on 29 Jan, 2020 at 07:49 AM
होगा जब सवेरा धूप तुम्हारी होगी मगर रात के अंधेरों ही में सुबह की तैयारी होगी
Submitted on 17 Jan, 2020 at 10:27 AM
अभी रात है , तो डरने की क्या बात है? दिन भी निकलेगा, अंधेरे की क्या औकात है,
Submitted on 07 Jan, 2020 at 15:25 PM
हौसला लेकर चलेंगे, तूफानों से लड़ने की तैयारी होगी
Submitted on 02 Jan, 2020 at 10:06 AM
क्या अब भी मेरी बॉल वहीं फ्रिज पर रखी रहती है क्या मेरी यूनिफॉर्म अभी भी, खूंटी पे टँगी रहती है
Submitted on 18 Dec, 2019 at 16:03 PM
मानो या न मानो मर्ज़ी तुम्हारी है फायदा तुम्हारा है अगर मान जाओगे।
Submitted on 29 Nov, 2019 at 05:36 AM
ज़्यादती हर चीज़ की बुरी ठंड का तीखापन भी सहा जाता है कहाँ।
Submitted on 27 Nov, 2019 at 14:57 PM
अपने माँ बाप के बेहद करीब हूँ मैं खुदा का शुक्र है खुशनसीब हूँ मैं। कुछ बड़ा होकर-
Submitted on 27 Nov, 2019 at 14:08 PM
मगर मन में हैं कुछ सवाल जो तुमसे पूछ नही पाता हूँ
Submitted on 26 Nov, 2019 at 03:21 AM
तेरी क्षमा अब कैसे स्वीकरुं, आत्मसम्मान को कैसे धिक्कारूं मस्तिष्क और मन को कैसे समझा
Submitted on 24 Nov, 2019 at 14:23 PM
घर पर सब ठीक था, मगर यहां वो थी पराई वो बहू क्या बनी, फिर बेटी ना बन पाई
Submitted on 21 Nov, 2019 at 20:54 PM
ख़ामोशी कभी ख़ामोश नहीं होती खामोशी में कई राज़ छुपे होते हैं।
Submitted on 20 Nov, 2019 at 15:04 PM
जीवन ही तो है ना ये, ये कोई व्यापार नहीं फिर क्यों तोलो बेटा- बेटी, ये अच्छा व्यवहार
Submitted on 19 Nov, 2019 at 18:54 PM
तजुर्बा कमाया जो दुनिया का इतने सालों में, नज़र आने लगता है इनके सफेद बालों में, मेहन
Submitted on 17 Nov, 2019 at 19:39 PM
ये मत सोचना, बेचारे हो तुम सच कहूं, गुनाहगार हो, हत्यारे हो तुम।
Submitted on 15 Nov, 2019 at 05:33 AM
उसी के ख्वाब उसी की ख्वाहिश, क्यों वो इस कदर मुझपे छाने लगा था।
Submitted on 10 Nov, 2019 at 19:25 PM
बचपन में जिस पिता से ज़िद करती, छोटा सी हथेली देती थी फैला
Submitted on 10 Nov, 2019 at 16:56 PM
पहाड़ों से निकलकर आने वाली निश्छल नदी की दास्तान जिसे मनुष्य प्रदूषित कर चला है
Submitted on 07 Nov, 2019 at 19:32 PM
धर्मों का सम्मान हुआ जो, ये उंगलियां मिलकर मुठ्ठी हो जाएंगी।
Submitted on 04 Nov, 2019 at 19:14 PM
वक़्त बदले, हालात बदले गीत बदले राग बदले बदलती हुई हवा के संग बहकर देखो।
Submitted on 08 Oct, 2019 at 09:47 AM
भीख मांगी नहीं जाती इससे मेहनती है, आखिर मज़दूर है।
Submitted on 02 Oct, 2019 at 10:27 AM
ठंडी ठंडी सुबह में बासी रोटी भी चाय के साथ कितनी भाती थी
Submitted on 01 Oct, 2019 at 18:26 PM
मानवता कल्याण के लिये ज़रूरी बापू के दर्शन और विचार
Submitted on 29 Sep, 2019 at 04:17 AM
आज मेरे लबों पर ये " काश " न आया होता।
Submitted on 28 Sep, 2019 at 09:37 AM
बिन सोचे ये वो देती हैं घर की ही खातिर, सर्वस्व खो देती हैं।
Submitted on 27 Sep, 2019 at 07:03 AM
दूर से देखो मिलो, तो ये चमकते हैं पास जितना जाओ, उतना भ्रम टूट जाता है।
Submitted on 26 Sep, 2019 at 10:04 AM
मर्यादा की बेड़ियों में, अब ना कहो कुढ़ने को। तोड़ कर ये बेड़ियाँ, आसमान से जुड़ने दो।
Submitted on 25 Sep, 2019 at 18:54 PM
लेकिन बहुत सुकून पाया है, यूँ ही बैठे कभी अकेले।
Submitted on 25 Sep, 2019 at 04:45 AM
क्रूरता मानव की देख पर्वत भी पिघल जाता है
Submitted on 24 Sep, 2019 at 11:01 AM