जब भी चला मैं मधुशाला
जब भी चला मैं मधुशाला
उस गुमनाम चेहरे की याद में
जब भी चला मैं मधुशाला
ना वो चेहरा याद रहा
वो बातें भी भूल गया
बस याद रहीं थी मुझे
वो मेरी प्रियतम मधुशाला
उसकी यादों के रुदन में
जब भी चला मैं मधुशाला
ना वो आंसू याद रहे
ना वो बेवफाई का जख्म
बस याद रही थी मुझे
वो मेरी प्रियतम मधुशाला
उसकी बेरुखी के दर्द में
जब भी चला मैं मधुशाला
ना वो तनहाई याद रही
ना वो बेरुखी का दर्द
बस याद रही थी मुझे
वो मेरी प्रियतम मधुशाला
मेरी मधुशाला का आलम तो देखो
आंसू से जा मिली छलकते जाम की बूंदें
जब टकराए मेरे जाम से उनके जाम
तन्हाई से जा मिली छलकते जाम की बूंदें
मेरी मधुशाला का आलम तो देखो
चेहरे भी याद आये कुछ हाथों में जाम लिए
जब वो लहराए थे इस कदर हमपर
बेरुखी से जा मिली छलकते जाम की बूंदे
तेरे दर्द ने जो बर्बाद हमें तो किया
फिर भी बहार लाई मेरी मधुशाला
तुम तो बेवफा निकल ही गए
वफ़ा भी साथ लाई मेरी मधुशाला