शमशीर
शमशीर
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माटी से सने हाथों में, धूमिल है हर लकीर।
लिखूँगा लहू- स्वेद से मैं अपनी तकदीर।।
हो मेहनती इन्सान तो, हर मुकाम है हासिल ।
बदलूंगा इन्हीं हाथों से जन जन की मैं तस्वीर।
है बाजुओं में दम मेरे , भारत का नौजवान हूँ ।
दुर्बल नहीं कदापि , हूँ मैं भारतीय शहतीर।।
हैं हौसले बुलंद, गर चाहूँ चाँद छू लूँ।
बाँध रखे जो मुझको, ऐसी नहीं बनी जंजीर।।
ललकारना न मुझको, चुनौतियाँ न देना।
स्मरण रहे सदैव , मैं हूँ जंगी शमशीर।।