मेरी एक दोस्त
मेरी एक दोस्त
मेरी एक दोस्त है जो मुझे,
हद से ज्यादा सताती थी।
मेरे स्कूल की एक-एक बातें,
आकर मेरी मां को बताती थीं।
मेरा टिफिन अक्सर चुरा कर
अकेले खा जाती थी और फिर,
अपने टिफिन का आधा हिस्सा,
वह बहकाकर मुझे खिलाती थीं।
हाँ थोड़ी सी सरफिरी है लेकिन,
मेरा ख्याल माँ जैसे रखतीं थीं।
मैं थोड़ी से डरपोक थीं पर,
वह किसी से भी नहीं डरतीं थीं।
स्कूल में बाल बिगड़े तो बनाती,
होमवर्क सारा खुद ही करातीं थीं।
परीक्षा का डर निकाल कर,
मेरे घर आकर मुझे वह पढ़ाती थीं।
अब हम बड़े हो गए हैं और
जिंदगी में वह पल मिलते नहीं।
घर तो सामने ही है हमारा पर,
हम उस घर में कभी दिखते ही नहीं।
शादी के बाद अकस्मात एक दिन,
हम दोनों की अनजान मुलाकात हुई।
फिर यादों का कारवां चला और,
यादों से हमारी वहीं से शुरुआत हुई।
बचपन की तरह हम साथ साथ,
सभी जगह यहाँ से वहाँ घुमते रहे।
एक-दूसरे को एकटक देखकर,
सिर्फ हंसते और मुस्कुराते रहे।
बचपन याद किया हमने और,
हम दोनों की आंखों में आंसू आ गए।
फिर दूसरे दिन उसके घरवाले,
उसे वापस लेने के लिए आ गए।